### **सेम की सब्जी की खेती का विस्तृत वर्णन**
**परिचय:**
सेम (Common Bean), जिसे अंग्रेजी में "Lablab Purpureus" या "Hyacinth Bean" कहते हैं, भारत में लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। इसे मुख्यतः हरी सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी खेती करना किसानों के लिए लाभदायक होता है क्योंकि यह कम समय में अच्छी पैदावार देता है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
सम की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और भूमि
1.जलवायु
सेम गर्म और आर्द्र जलवायु में बेहतर फलता-फूलता है। इसकी खेती के लिए 20-30°C तापमान सबसे उपयुक्त है। यह रबी और खरीफ दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है।
- रबी में खेती: अक्टूबर-नवंबर में बुवाई।
- खरीफ में खेती: जून-जुलाई में बुवाई।
2. भूमि
- उपजाऊ, जल निकासी युक्त दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है।
- भूमि का pH मान 6.0-7.5 होना चाहिए।
- मिट्टी तैयार करने के लिए गहरी जुताई करके खेत को समतल बनाएं।
सेम की उन्नत किस्में
भारत में सेम की खेती के लिए कई किस्में विकसित की गई हैं। ये किस्में क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार चुनी जाती हैं।
पी.के.वी. हरी सेम। उच्च उपज वाली किस्म।
पूसा एडल्ट दिल्ली क्षेत्र के लिए उपयुक्त।
सूरजमुखी सेम। सूखे और आर्द्र दोनों परिस्थितियों में सफल।
बुवाई की विधि
1. बीज चयन
- बीजों का चुनाव रोगमुक्त और उच्च गुणवत्ता वाला होना चाहिए।
- बीजों को बोने से पहले फफूंदनाशक दवाओं से उपचारित करें।
2. बुवाई की दूरी
- पौधों के बीच की दूरी: 30-40 सेमी।
- कतारों के बीच की दूरी: 50-60 सेमी।
- गड्ढे की गहराई: 2-3 सेमी।
3. बीज की मात्रा
प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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खाद और उर्वरक
1.प्राकृतिक खाद
- गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट का उपयोग करें।
- प्रति हेक्टेयर 10-15 टन जैविक खाद दें।
2. रासायनिक खाद
- नाइट्रोजन: 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
- फॉस्फोरस: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
- पोटाश: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
- बुवाई के समय 50% खाद दें और बाकी टॉप-ड्रेसिंग के रूप में।
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सिंचाई प्रबंधन
1. पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
2. हर 7-10 दिन में सिंचाई करें, खासकर फूल और फली बनने के समय।
3. पानी का जमाव न होने दें क्योंकि इससे जड़ सड़ सकती है।
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निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
1. बुवाई के 15-20 दिनों बाद पहली निराई करें।
2. खरपतवार नियंत्रण के लिए प्री-इमर्जेंस हर्बिसाइड का उपयोग करें।
3. हाथ से निराई-गुड़ाई करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है।
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रोग और कीट नियंत्रण
1.रोग
- *पाउडरी मिल्ड्यू*: सल्फर आधारित फफूंदनाशक का उपयोग करें।
- *रूट रॉट*: मिट्टी उपचार और फसल चक्र अपनाएं।
2. कीट
- *एफलिड*: नीम तेल का छिड़काव।
- *फल छेदक कीड़ा*: कीटनाशक जैसे इमामेक्टिन का छिड़काव।
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*फसल कटाई और उपज**
1. **कटाई का समय:**
- बुवाई के 60-90 दिनों बाद कटाई की जा सकती है।
- फली को तब तोड़ें जब वह नरम और हरी हो।
2. **उपज:**
- औसतन 80-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
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*सेम की सब्जी के पोषण और स्वास्थ्य लाभ**
सेम की सब्जी पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें निम्नलिखित तत्व पाए जाते हैं:
- **विटामिन्स:** विटामिन A, B, और C।
- **खनिज पदार्थ:** पोटैशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस।
- **फाइबर:** पाचन तंत्र के लिए लाभकारी।
- **प्रोटीन:** शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक।
**स्वास्थ्य लाभ:**
1. **दिल की सेहत:**
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं।
2. **वजन घटाने में मददगार:**
- कम कैलोरी और उच्च फाइबर युक्त होने के कारण वजन घटाने के लिए आदर्श।
3. **पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद:**
- फाइबर कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
4. **रक्त शर्करा नियंत्रण:**
- डायबिटीज रोगियों के लिए यह फायदेमंद है क्योंकि यह शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
5. **हड्डियों की मजबूती:**
- इसमें मौजूद कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
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**निष्कर्ष**
सेम की सब्जी की खेती किसानों के लिए कम लागत और अधिक मुनाफे वाला विकल्प है। यह न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। सही विधियों और समय पर ध्यान देकर, इसकी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है और बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
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